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Dillagi - Rahat Fateh Ali Khan

Dillagi

Rahat Fateh Ali Khan

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04:59

Song Introduction

‘दिल्लगी’ राहत फतेह अली खान द्वारा गाया गया एक लोकप्रिय हिंदी गीत है। इस गाने में राहत की मधुर आवाज़ और सजीव संगीत ने श्रोताओं का दिल जीत लिया है। 'दिल्लगी' में प्रेम और उत्साह के भावों को खूबसूरती से पिरोया गया है, जो इसे संगीत प्रेमियों के बीच विशेष स्थान दिलाता है। यह गीत विभिन्न मंचों पर खूब सराहा गया है और राहत फतेह अली खान की कला को एक बार फिर से दर्शाता है।

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Lyric

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी

कभी दिल किसी से लगाकर तो देखो

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी

कभी दिल किसी से लगाकर तो देखो

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी

कभी दिल किसी से लगाकर तो देखो

तुम्हारे ख़यालों की दुनिया यही है

ज़रा मेरी बाँहों में आकर तो देखो

देखो, देखो

देख के मुझे क्यूँ तुम देखते नहीं?

यारा, ऐसी बेरुख़ी, हाँ, सही तो नहीं

रात-दिन जिसे माँगा था दुआओं में

देखो ग़ौर से, कहीं मैं वही तो नहीं

मैं वो रंग हूँ जो चढ़ के कभी छूटे ना

मैं वो रंग हूँ जो चढ़ के कभी छूटे ना दामन से

तुम्हें प्यार से प्यार होने लगेगा

तुम्हें प्यार से प्यार होने लगेगा

मेरे साथ शामें बिता कर तो देखो

(तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी)

(मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो)

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी

तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी

कभी दिल किसी से लगाकर तो देखो

तुम्हारे ख़यालों की दुनिया यही है

ज़रा मेरी बाँहों में आकर तो देखो

(तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी)

(मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो)

(मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो)

तेरे लिए मैं जियूँ

तुझ पे ही मैं जान दूँ

दिल की कहूँ, दिल की सुनूँ

इश्क़ है दिल्लगी नहीं

(तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी) दिल्लगी, दिल्लगी नहीं

(मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो)

(मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो)

- It's already the end -