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Meri Khamoshi Hai - Anupam Roy

Meri Khamoshi Hai

Anupam Roy

00:00

05:18

Song Introduction

‘मेरी ख़ामोशी है’ अनुपम रॉय द्वारा प्रस्तुत एक सुगम और भावपूर्ण गीत है। यह गीत प्रेम की गहराइयों और आंतरिक संवेदनाओं को बयां करता है। अनुपम रॉय की मास्टरपीस लिरिक्स और मधुर धुन ने श्रोताओं के दिलों में अपनी एक खास जगह बना ली है। इस गीत में संगीत की सरलता के साथ-साथ भावनाओं की गहराई को खूबसूरती से उकेरा गया है, जो इसे सुनने में बेहद मनमोहक बनाता है। ‘मेरी ख़ामोशी है’ उन सभी के लिए एक एहसास पैदा करता है जो अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं।

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Lyric

तेरे ही ज़िक्र की जासूसी

मेरी खामोशी है

रहूँ मैं चुप क्यूँ

बातूनी मेरी खामोशी है

जलते बुझते हर्फ़ हैं जो

होठों पे ये बर्फ क्यूँ हो

इन सवालों का तू जवाब है

सुन ज़रा

तेरे ही ज़िक्र की जासूसी

मेरी खामोशी है

रहूँ मैं चुप क्यूँ

बातूनी मेरी खामोशी है

दिल तेरा चकोरे सा भागा क्यूँ है

चाँद बगल में तेरा

कंधों पे ये ख्वाब ऐसा लदा क्यूँ है

तकिये पे रख तो ज़रा

छुपे हैं जो दिल के

सुराग दिखा दूँ तुझे

तेरे ही ज़िक्र की जासूसी

मेरी खामोशी है

रहूँ मैं चुप क्यूँ

बातूनी मेरी खामोशी है

दिल के बिछौने जो थे कोरे-कोरे

रंग से खिलने लगे

ख्वाब के बगीचे धागा-धागा चुने

फुरसत से सिलने लगे

कहाँ से ये सीखा?

हुनर बता दिल मेरे...

तेरे ही ज़िक्र की जासूसी

मेरी खामोशी है

रहूँ मैं चुप क्यूँ

बातूनी मेरी खामोशी है

जलते बुझते हर्फ़ हैं जो

होठों पे ये बर्फ क्यूँ हो

इन सवालों का तू जवाब है

सुन ज़रा...

तेरे ही ज़िक्र की जासूसी

मेरी खामोशी है

रहूँ मैं चुप क्यूँ

बातूनी मेरी खामोशी है

- It's already the end -