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राहों में हमको मिलो, जहाँ बस प्यार हो
सर पे फ़िज़ाओं के इश्क़ सवार हो
आसमाँ को फिर ज़मीं से इतनी मोहब्बत हो
वफ़ा फ़ैली हो ज़मीं पे, चाहतों की सोहबत हो
झील के पानी में इश्क़ ही बहता हो
इश्क़ हो दुआ, बस इश्क़ की इबादत हो
खुदा भी जब तुम्हें मेरे पास देखता होगा
"इतनी अनमोल चीज़ देदी कैसे?" सोचता होगा
सुबह का चैन मेरा, शाम का सुकून है
प्यार तेरा प्यार नहीं, मेरा जुनून है
दर्द तुझे हो अगर, आँख मेरी रोती है
जुदा होके मर जाएँगे, हमें मालूम है
खुदा भी जब तुम्हें मेरे पास देखता होगा
"दो बदन एक जाँ देदी कैसे?" सोचता होगा
कितना सुकून मिले संग तेरे, ऐ सनम
दूर कभी जाकर करना ना हम पे सितम
तू है तो ज़िंदगी ये कितनी हसीन है
बिन तेरे फीकी है, तुझसे रंगीन है
हर एक साँस मेरी मुझसे ये कहती है
मेरे आसमाँ की तू ही ज़मीन है
खुदा भी जब तुम्हें मेरे पास देखता होगा
"इतनी अनमोल चीज़ देदी कैसे?" सोचता होगा