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Bezubaan Phir Se - Madhav Krishna

Bezubaan Phir Se

Madhav Krishna

00:00

04:32

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Lyric

जान ले किस्मत ने बांटे हैं

राहों में कांटे और मैं भी हूँ ज़िद्दी

आऊं किस्मत के आड़े

ना रोके रुकूँ, तू गिरा मैं उठूँ

पिंजरे तोड़कर फैलाउंगा मैं पर

तुझमें जितना है ज़ोर तू लगा ले मगर

हंस के कट जाएगा, ना झुकेगा ये सर

Everytime I'll tell myself

Ok, get up

Everytime I'll tell myself

जान ले क़िस्मत ने बांटे है

राहों में कांटे है

ना रोके रखूं तू गिरा, मैं उठूँ

रेगज़ारों में, आग है जितनी

है लहू खोलता मेरा इन रागों में फिर भी

खाक्सारों को, ख़ाक ही काफी

रास मुझको है ख़ामोशी मेरी

बेज़ुबान कब से मैं रहा

बेगुनाह सहता मैं रहा

बेज़ुबान कब से मैं रहा

बेगुनाह सहता मैं रहा

जान ले की किस्मत ने बांटे हैं

राहों में कांटे हैं

की की किस्मत ने बांटे हैं

राहों में कांटे हैं

सौ सवाल हैं, सौ है लानते

मेरे तरानों पे, लगी है कालिखें

ये आग सपनों की, राख हाथों में

सूनी आँखों में जलती उम्मीद है आखरी

ना मिला मौका, ना मिली माफ़ी

कहदो कितनी सजा और बाकी

बेज़ुबान कब से मैं रहा

बेगुनाह सहता मैं रहा

बेज़ुबान कब से मैं रहा

बेगुनाह सहता मैं रहा

जान ले किस्मत ने बांटे हैं

राहों में कांटे और मैं भी हूँ ज़िद्दी

आऊं किस्मत के आड़े

ना रोके रुकूँ, तू गिरा मैं उठूँ

पिंजरे तोड़कर फैलाउंगा मैं पर

तुझमें जितना है ज़ोर तू लगा ले मगर

हंस के कट जाएगा, ना झुकेगा ये सर

- It's already the end -