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Kanha - Thumri - Rekha Bhardwaj

Kanha - Thumri

Rekha Bhardwaj

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Song Introduction

रेखा भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत **'कन्हा - ठुमरी'** एक सुंदर और भावपूर्ण गीत है, जो भगवान कृष्ण की लीलाओं को समर्पित है। इस ठुमरी में पारंपरिक संगीत के साथ आधुनिक तत्वों का संगम देखने को मिलता है, जिससे गीत में एक विशिष्ट आकर्षण उत्पन्न होता है। रेखा भारद्वाज की मधुर आवाज़ और गहन प्रस्तुति इस गीत को और भी प्रभावशाली बनाती है। यह गीत संगीत प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है और विशेष रूप से धार्मिक अवसरों पर सदा सुना और सराहा जाता है।

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Lyric

पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ

टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ, हो, चिट्ठियाँ, टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ

चिट्ठियों की संदेसे विदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ

चिट्ठियों के संदेसे बिदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ

कान्हा, बैरन हुई बाँसुरी

हो, कान्हा, ए, तेरे अधर क्यूँ लगी?

अंग से लगे तो बोल सुनावे

भाए, ना मोह लगे, कान्हा

दिन तो कटा, साँझ कटे

कैसे कटे रतियाँ?

पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ

टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ, हो, चिट्ठियाँ, टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ

चिट्ठियों के संदेसे बिदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ

रोको, कोई रोको, दिन का डोला रोको

कोई डुबे, कोई तो बचावे रे

माथे लिखे म्हारे कारे अँधियारे

कोई आवे, कोई तो मिटावे रे

सारे बंद हैं किवाड़े, कोई आ रहे हैं ना पारे

मेरे पैरों में पड़ीं रस्सियाँ

कान्हा, तेरे ही रंग में रंगी

हो, कान्हा, है साँझ की छब साँवरी

साँझ समय जब साँझ लिपटावे

लज्जा करे बाबरी

कुछ ना कहे आपने आप से

आपी करे बतियाँ

दिन की राह ये, रे (पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)

ले गया सूरज (टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ, हो, चिट्ठियाँ, टीपो पे ना लिखो चिट्ठियाँ)

छोड़ गए आकाश रे (पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)

हे, कान्हा, कान्हा (बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)

कान्हा, कान्हा (चिट्ठियों के संदेसे बिदेसे जावेंगे, चलेंगे छतियाँ)

कान्हा, कान्हा (पवन उड़ावे बतियाँ, हो, बतियाँ, पवन उड़ावे बतियाँ)

कान्हा, कान्हा

- It's already the end -