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Hanuman Chalisa - Sachet Tandon

Hanuman Chalisa

Sachet Tandon

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Song Introduction

"हनुमान चालीसा" एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है, जिसे लोकप्रिय गायक सचेत तंदन ने अपनी मधुर आवाज में प्रस्तुत किया है। यह गीत भगवान हनुमान की वीरता, भक्ति और शक्ति का वर्णन करता है। सचेत तंदन के इस संस्करण में पारंपरिक और आधुनिक संगीत का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है, जिससे श्रोताओं को आध्यात्मिक अनुभव होता है। यह गाना भक्तों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है और धार्मिक आयोजनों में व्यापक रूप से सुना जाता है।

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Lyric

श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि

बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार

बल, बुद्धि, विद्या देहू मोहि, हरहू कलेस विकार

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

जय कपिस तिहूँ लोक उजागर

रामदूत अतुलित बल धामा

अंजनि पुत्र "पवनसुत" नामा

महाबीर बिक्रम बजरंगी

कुमति निवार सुमति के संगी

कंचन बरन बिराज सुबेसा

कानन कुण्डल कुंचित केसा

हाथ बज्र और ध्वजा बिराजे

कांधे मुंज जनेऊ साजे

संकर सुवन केसरी नंदन

तेज प्रताप महा जग वंदन

विद्यावान गुनी अति चातुर

राम काज करिबे को आतुर

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया

राम, लखन, सीता मन बसिया

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा

विकट रुप धरि लंक जरावा

भीम रुप धरि असुर संहारे

रामचंद्र के काज सँवारे

लाय सजीवन लखन जियाये

श्री रघुबीर हरषि उर लाये

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं

सनकादिक ब्रह्मादि मुनिसा

नारद सारद सहित अहिसा

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा

राम मिलाए राज पद दीन्हा

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना

लंकेस्वर भये सब जग जाना

जुग सहस्र जो जन पर भानु

लिल्यो ताहि मधुर फल जानु

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं

दुर्गम काज जगत के जेते

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते

राम दुआरे तुम रखवारे

होत ना आज्ञा बिनु पैसारे

सब सुख लहै तुम्हारी ही सरना

तुम रक्षक काहू को डरना

आपन तेज सम्हारो आपै

तीनों लोक हाँक ते काँपै

भूत पिसाच निकट नहिं आवै

महावीर जब नाम सुनावै

नासै रोग हरै सब पीरा

जपत निरंतर हनुमत बीरा

संकट ते हनुमान छुड़ावै

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै

सब पर राम तपस्वी राजा

तिनके काज सकल तुम साजा

और मनोरथ जो कोई लावै

सोई अमित जीवन फल पावै

चारों जुग परताप तुम्हारा

है परसिद्ध जगत उजियारा

साधु-संत के तुम रखवारे

असुर निकंदन राम दुलारे

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता

अस बर दीन जानकी माता

राम रसायन तुम्हरे पासा

सदा रहो रघुपति के दासा

तुम्हरे भजन राम को पावै

जनम-जनम के दुख बिसरावै

अंत काल रघुबर पुर जाई

जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई

और देवता चित्त ना धरई

हनुमत सर्व सुख करई

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

(जय हनुमान ज्ञान गुन सागर)

(जय कपिस तिहूँ लोक उजागर)

संकट कटै, मिटै सब पीरा

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा

जय, जय, जय हनुमान गोसाईं

कृपा करहु गुरूदेव की नाई

जो सत बार पाठ कर कोई

छूटहि बंदि महासुख होई

जो ये पढ़े हनुमान चालीसा

होय सिद्धि साखी गौरिसा

तुलसीदास सदा हरि चेरा

कीजै नाथ हृदय मम डेरा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मुरति रुप

राम, लखन, सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप

हृदय बसहु सुर भूप, हृदय बसहु सुर भूप

- It's already the end -