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Mishri - Anuv Jain

Mishri

Anuv Jain

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03:20

Song Introduction

अनुव जैन का गीत 'मिश्री' एक मधुर और आत्मीय ट्रैक है जो प्रेम और जीवन के विभिन्न पहलुओं को खूबसूरती से पेश करता है। इस गीत की सजीव धुन और अनुव की स्नेहपूर्ण आवाज़ श्रोताओं के दिलों में गहरी छाप छोड़ती है। 'मिश्री' ने भारतीय स्वतंत्र संगीत प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है और यह गीत अपने सरल लेकिन प्रभावशाली बोलों के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। अनुव जैन की संवेदनशील प्रस्तुति इस गाने को और भी खास बनाती है।

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Lyric

ये पलकों में कुछ बातें हैं

तेरे बिना, तेरे बिना

अधूरी सी सारी रातें हैं

तेरे बिना, तेरे बिना

और आसमाँ में जो तारे हैं

तू वैसे मेरे दिल में सजा है

ये तारे जो अब टूटें तो

इन ख़्वाहिशों में तू ही रहा है

और मिश्री सी तेरी बातें ये

यूँ हौले-हौले याद आ रही हैं

और मीठी सी तेरी यादें अब

यूँ रातों में सुला जा रही हैं

तू आज भी, हाँ, आज भी

कहीं ना कहीं सपनों में रहा है

और मिश्री के इन बादलों में

तू आज भी कहीं पे छिपा है

तू नींदों में, बंद आँखों में

यूँ हौले-हौले लड़ती-झगड़ती है

ना जाने क्यूँ फिर आके तू

मुझे ही, जानाँ, कस के पकड़ती है

तेरा, तेरा ही

मैं हो गया हूँ सोने के महलों में

तेरा, तेरा ही

मैं हो गया हूँ मिट्टी के शहरों में

- It's already the end -