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लकी अली का "मौसम" एक लोकप्रिय हिंदी गीत है, जो उनकी अनूठी मधुर आवाज और सादगीपूर्ण संगीत के लिए जाना जाता है। यह गीत प्रेम और बदलते समय की भावनाओं को खूबसूरती से दर्शाता है, जिसने श्रोताओं के दिलों में गहरा असर छोड़ा है। "मौसम" ने लकी अली को भारतीय संगीत उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में मदद की है और आज भी यह गीत विभिन्न पीढ़ियों में प्रिय बना हुआ है।
मौसम भी यार है, गुलशन घर-बार है
बरखा का साथ है, कैसी सौगात है
अब जाएँ कब, जाएँ कैसे, बोलो?
जिन के साथ दिल लगता है उन के साथ हो लो
जाना कहाँ था हम को, कहाँ हम चल दिए
छोटी-छोटी हसरतों में हम घुल-मिल गए
सोच के क्या निकले थे, ये क्या हम कर गए
जो कहते वो नहीं करते, ना इन में रह गए
रब ये जाने अब क्या होगा, रस्ता है मुश्किल
किस चौराहे पे खड़े हैं, यार?
♪
कितने अरमान हैं, कैसे अंजाम हैं
बरसों का काम है, लम्हों पे नाम है
देर से आए, जैसे आए, बोलो
जिन के साथ दिल लगता है उन के साथ हो लो
मिट्टी का बर्तन हो, बर्तन में हो सोना
सोने के बर्तन में मिट्टी, ऐसा नहीं होना
आसमान अगर छत है, ये धरती बिछौना
अंबर को दे साया कौन? धरती का क्या कोना?
रब ये जाने कैसा होता, कहना है मुश्किल
है उस पार भी घर-बार, यार
♪
चेहरा हिजाब है, गहरा जवाब है
सच है या ख़्वाब है, सब का हिसाब है
अब कैसे सब को बतलाएँ, बोलो?
जिन के साथ दिल लगता है उन के साथ हो लो