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जगजीत सिंह द्वारा गाया गया 'आज फिर उनका सामना' एक सुंदर ग़ज़ल है जो प्रेम और इंतजार की भावनाओं को बखूबी व्यक्त करती है। इस ग़ज़ल में जगजीत सिंह की मधुर आवाज़ और संवेदनशील संगीत ने इसे श्रोता के दिलों में खास जगह दिलाई है। 'आज फिर उनका सामना' में शब्दों की गहराई और संगीत की लय एक साथ मिलकर एक यादगार अनुभव प्रदान करती है, जो संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है।
आज फिर उनका सामना होगा
आज फिर उनका सामना होगा
क्या पता, उसके बाद क्या होगा?
आज फिर उनका सामना होगा
♪
आसमाँ रो रहा है दो दिन से
आसमाँ रो रहा है दो दिन से
आसमाँ रो रहा है दो दिन से
आप ने कुछ कहा-सुना होगा?
आप ने कुछ कहा-सुना होगा?
आज फिर उनका सामना होगा
♪
दो क़दम पर सही तेरा कूचा
दो क़दम पर सही तेरा कूचा
दो क़दम पर सही तेरा कूचा
ये भी सदियों का फ़ासला होगा
ये भी सदियों का फ़ासला होगा
आज फिर उनका सामना होगा
♪
घर जलाता है रोशनी के लिए
घर जलाता है रोशनी के लिए
घर जलाता है रोशनी के लिए
कोई मुझ सा ही दिल-जला होगा
आज फिर उनका सामना होगा
क्या पता, उसके बाद क्या होगा?
आज फिर उनका सामना होगा