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"लेता जाईजो रे" कोक स्टूडियो भारत द्वारा प्रस्तुत एक शानदार गीत है, जिसे गायक शश्वत सचदेव ने साकार किया है। यह गीत अपने मधुर लिरिक्स और परिष्कृत धुन के साथ श्रोताओं के दिल में घर कर गया है। शश्वत की आकर्षक आवाज़ और संगीत के बेहतरीन संयोजन ने इसे देशभर में लोकप्रियता दिलाई है। "लेता जाईजो रे" ने संगीत प्रेमियों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ हासिल की हैं और सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर सराहा गया है। कोक स्टूडियो भारत की विशिष्ट प्रस्तुति ने इस गीत को एक नई पहचान दी है, जिससे यह संगीत जगत में अपनी जगह बना रहा है।
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
म्हारी सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो रे
सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
म्हारी सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो रे
सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो
थारी-म्हारी कहानी में, कहानी में
म्हारी मन की मैं रानी रे
थारी जो भी परेसानी रे, वो थारी रे
म्हारी पूरी मनमानी रे
म्हारा मन ये चंदरमा रे, थारा मन ये बदरवा रे
बोलो, कैसे ये चलेगी नैया?
म्हारा मन गुड़धानी रे, थारा मन ये पानी रे
बोलो, कैसे ये मिलेगी छैया?
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
म्हारी सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो रे
सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो
♪
हो, आवै हिचकी, आवै हिचकी
बड़ी लड़ी आवै अवळूड़ी, बड़ा गलीयावे अवळूड़ी रे
म्हारों कालिजों जी थारै हिवरण आवै हिचकी
हो म्हारों कालिजों जी थारै हिवरण आवै हिचकी
हाँ, आवै हिचकी, आवै हिचकी
तेरी यादों में पिघलूँ जी, मैं हद से आगे निकलूँ जी
कै गागर पी गई मैं तो सारे, मगर आवै हिचकी
कै सागर पी गई मैं तो सारे, मगर आवै हिचकी
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
लैता जाइजो रे दिलड़ौ, दैता जाइजो
म्हारी सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो रे
सखी, नणंद बाईरा बीरा रे रुमाल, म्हारो लैता जाइजो रे
♪
ओ, आवै हिचकी
हाँ, हाँ
हाँ, हाँ