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Musafir - Arijit Anand

Musafir

Arijit Anand

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04:04

Song Introduction

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Lyric

राह के किनारे पे, पेड़ की छाँव में

बैठ जा मुसाफ़िर कभी

इतना क्यूँ है भागता? क्या तू वक़्त से बड़ा

बन गया है क़ाफ़िर अभी?

राह के किनारे पे, पेड़ की छाँव में

बैठ जा मुसाफ़िर कभी

इतना क्यूँ है भागता? क्या तू वक़्त से बड़ा

बन गया है क़ाफ़िर अभी?

मिल जाएगा एक दिन तुझे

तेरा वो आसमाँ

जब गुम हुई है तेरी हँसी

तो सफ़र का क्या फ़ायदा?

फ़िकरों में है क्या रखा? कोशिशें तू कर सदा

इतना ही है काफ़ी अभी

राह के किनारे पे, पेड़ की छाँव में

बैठ जा मुसाफ़िर कभी

माना कि गर्मी की दोपहर है जलाती तुझे

सुन ले कभी तेरी बूढ़ी सी माँ घर बुलाती तुझे

माना कि गर्मी की दोपहर है जलाती तुझे

सुन ले कभी तेरी बूढ़ी सी माँ घर बुलाती तुझे

पर तू है वक़्त सा

तू ना कभी है रुका

तेरी कशिश खींच लाएगी वो

तू जो है चाहता

चार पल की ज़िंदगी, उसमें एक पल ख़ुशी

उसकी कर हिफ़ाज़त अभी

राह के किनारे पे, पेड़ की छाँव में

बैठ जा मुसाफ़िर कभी

राह के किनारे पे, पेड़ की छाँव में

बैठ जा मुसाफ़िर कभी

इतना क्यूँ है भागता? क्या तू वक़्त से बड़ा

बन गया है क़ाफ़िर अभी?

- It's already the end -