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"जगह पे सवेरा हो बसेरा वहीं" फिल्म "बसेरा" का एक लोकप्रिय गीत है, जिसे सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर ने गाया है। यह गीत प्रेम और आशा की भावना को सुंदर तरीके से प्रस्तुत करता है। फिल्म "बसेरा" 1981 में रिलीज़ हुई थी और इस गाने ने व्यापक रूप से सराहना प्राप्त की। संगीतकार ने इस गीत में मधुर लय और लता मंगेशकर की मधुर आवाज़ का बेहतरीन समावेश किया है, जिससे यह आज भी श्रोताओं के दिल में बसा हुआ है।
कभी पास बैठो, किसी फूल के पास
सुनो जब महकता है, बहुत कुछ ये कहता है
ओ, कभी गुनगुना के, कभी मुस्कुरा के
कभी गुनगुना के, कभी मुस्कुरा के
कभी चुपके-चुपके, कभी खिलखिला के
जहाँ पे सवेरा हो बसेरा वहीं है
जहाँ पे सवेरा हो बसेरा वहीं है
जहाँ पे सवेरा हो बसेरा वहीं है
♪
ओ, कभी छोटे-छोटे शबनम के क़तरे
कभी छोटे-छोटे शबनम के क़तरे
देखे तो होंगे सुबह-ओ-सवेरे
ये नन्ही सी आँखें जागी हैं शब भर
बहुत कुछ है दिल में, बस इतना है लब पर
जहाँ पे सवेरा हो बसेरा वहीं है
जहाँ पे सवेरा हो बसेरा वहीं है
♪
ना मिट्टी, ना गारा, ना सोना सजाना
ना मिट्टी, ना गारा, ना सोना सजाना
जहाँ प्यार देखो वहीं घर बनाना
ये दिल की इमारत बनती है दिल से
दिलासों को छू के, उम्मीदों से मिल के
जहाँ पे सवेरा हो
जहाँ पे बसेरा हो सवेरा वहीं है
जहाँ पे बसेरा हो सवेरा वहीं है
जहाँ पे बसेरा हो सवेरा वहीं है