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जो हमनवा थे, अब वो ख़फ़ा हैं
कल हमसफ़र थे, अब हैं जुदा
क्यूँ आँसुओं से लिखने लगी है
अब ज़िंदगानी ये दास्ताँ?
पहले थे हँसे जितना
अब उतना बुरा लगता है
सब तो खो गया मुझ से
अब किस के लिए रुकना है?
फिर चला, फिर चला
उन राहों से दिल चला
फिर चला, फिर चला
उन राहों से दिल चला
♪
पाने की चाहत में खो गया
ख़्वाबों के हाथों से दिल गिर गया
टूटी जो नींदें, दिखा ही नहीं
जाने कहाँ वो मुसाफ़िर गया
निकले थे सही करने हम
फिर भी ग़लत ही हुआ है
अनजाने में जाने ये कैसा
हम से गुनाह हो गया है
फिर चला, फिर चला
उन राहों से दिल चला
फिर चला, फिर चला
उन राहों से दिल चला
♪
तक़दीरों की इस लड़ाई में
बैठे हैं रिश्ते ये हारे हुए
बेचारे दिल को तो पूछो कोई
इसकी ख़ुशी, इसको क्या चाहिए
रहती थी जहाँ रौनक़
अब घर वो सूना पड़ा है
वो जो ख़्वाब देखा था
१०० टुकड़ों में टूटा पड़ा है