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जीने भी दे दुनिया हमें, इल्ज़ाम ना लगा
एक बार तो करते हैं सब कोई हसीं ख़ता
वरना कोई कैसे भला चाहे किसी को बेपनाह?
ऐ ज़िंदगी, तू ही बता, क्यूँ ये इश्क़ है गुनाह?
जीने भी दे दुनिया हमें, इल्ज़ाम ना लगा
एक बार तो करते हैं सब कोई हसीं ख़ता
♪
खुद से ही करके गुफ़्तगू कोई कैसे जिए?
इश्क़ तो लाज़मी सा है ज़िन्दगी के लिए
♪
खुद से ही करके गुफ़्तगू कोई कैसे जिए?
इश्क़ तो लाज़मी सा है ज़िंदगी के लिए
दिल क्या करे, दिल को अगर सच्चा लगे कोई
झूठा सही, दिल को मगर अच्छा लगे कोई
ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा
उसका हूँ, उसमें हूँ, उससे हूँ, उसी का रहने दे
मैं तो प्यासा हूँ, है दरिया वो, ज़रिया वो जीने का मेरे
मुझे घर दे, गली दे, शहर दे उसी के नाम के
क़दम ये चलें या रुकें अब उसी के वास्ते
दिल मुझे दे अगर, दर्द दे उसका पर
उसकी हो वो हँसी, गूँजे जो मेरा घर
ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा, जब बना उसका ही बनाना
ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा, जब बना उसका ही बनाना
जीने भी दे दुनिया हमें, इल्ज़ाम ना लगा
एक बार तो करते हैं सब कोई हसीं ख़ता