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"ओ रे पिया (MTV Unplugged)" सलिम–सुलैमान द्वारा संगीतबद्ध एक दिलकश गीत है। यह गीत एमटीवी अनप्लग्ड श्रृंखला के तहत एकशैली में प्रस्तुत किया गया है, जिसने इसे एक विशिष्ट और भावपूर्ण रूप प्रदान किया है। राहत फ़तेह अली खान की मधुर आवाज़ में इस गीत ने प्रेम की गहराइयों को बखूबी उजागर किया है। सरल लेकिन प्रभावशाली संगीत के साथ, "ओ रे पिया" ने श्रोताओं के दिलों में विशेष स्थान बना लिया है। इस गीत की आत्मा को उभारते हुए, यह प्रदर्शन संगीत प्रेमियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय रहा है और इसे विभिन्न मंचों पर सराहा गया है।
ओ, रे पिया, हाय
ओ, रे पिया, हाँ
ओ, रे पिया, हाय
ओ, रे पिया
उड़ने लगा क्यूँ मन बावला रे?
आया कहाँ से ये हौसला रे?
ओ, रे पिया
ओ, रे पिया, हाँ
ओ, रे पिया, पिया
ओ, रे पिया
♪
ताना-बाना, ताना-बाना बुनती हवा, हाय, बुनती हवा
बूँदें भी तो आएँ नहीं बाज़ यहाँ, हाय
साज़िश में शामिल सारा जहाँ है
हर ज़र्रे-ज़र्रे की ये इल्तिजा है
ओ, रे पिया, पिया
ओ, रे पिया, पिया
ओ, रे पिया
नि-रे, रे-रे-गा, गा-गा, मा-घा-रे-सा
नि-रे, रे-रे-गा, गा-गा-मा, मा-मा-पा
धा, मा, मा-घा-रे-रे-सा-सा-सा
रे-रे-सा, ग-ग-रे-म-ग, प-प-म, ध-ध-प
नि-नि-सा-धा-पा, पा-ध-मा-पा-नि-ध-र
नि-ध-र-ध, नि-ध-र-ध, नि-ध-र-ध, नि-ध-र-ध
नि-ध, ध-नि, पा-ध-मा-पा, गा-मा-रे-गा, सा-रे-रि-सा
नंगे पैरों पे अँगारों चलती रही, हाय, चलती रही
लगता है कि ग़ैरों में मैं पलती रही, हाय
ले चल वहाँ जो मुल्क तेरा है
जाहिल ज़माना दुश्मन मेरा है
ओ, रे पिया
ओ, रे पिया, पिया
ओ, रे पिया, पिया
ओ, रे पिया
ओ, रे पिया, पिया
ओ, रे पिया, पिया