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"लिंगाष्टकम्" एक प्राचीन भक्ति गीत है जो भगवान शिव के लिंग के आध्यात्मिक और रूपात्मक गुणों का वर्णन करता है। पुज्य भागीरे रामेशभाई ओझा द्वारा गाया गया यह गीत उनकी मधुर आवाज और भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए जाना जाता है। इस गीत में भगवान शिव की महिमा, उनकी शक्तियों और उनके भक्तों के प्रति दया का सुंदर वर्णन किया गया है। "लिंगाष्टकम्" धार्मिक आयोजनों और भक्ति संगीत प्रेमियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है, जो इसे सुनने वालों के मन में शांति और भक्ति की भावना का संचार करता है।
लिङ्गाष्टकम्
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ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम्
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
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देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम्
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
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सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
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कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम्
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
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कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
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देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
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अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम्
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
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सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम्
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
...तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
...तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते
इति श्री लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रं संपूर्णम्