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Inn Lamhon Ke Daaman Mein - A.R. Rahman

Inn Lamhon Ke Daaman Mein

A.R. Rahman

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Lyric

इन लम्हों के दामन में पाकीज़ा से रिश्ते हैं

कोई कलमा मोहब्बत का दोहराते फ़रिश्ते हैं

ख़ामोश सी है ज़मीं, हैरान सा फ़लक है

एक नूर ही नूर सा अब आसमाँ तलक है

नग़्मे ही नग्मे हैं जागती-सोती फ़िज़ाओं में

हुस्न है सारी अदाओं में, इश्क़ है जैसे हवाओं में

ओ, नग़्मे ही नग़्मे हैं जागती-सोती फ़िज़ाओं में

हुस्न है सारी अदाओं में, इश्क़ है जैसे हवाओं में

कैसा ये इश्क़ है? कैसा ये ख़ाब है?

कैसे जज़्बात का उमड़ा सैलाब है?

(कैसा ये इश्क़ है? कैसा ये ख़ाब है?)

(कैसे जज़्बात का उमड़ा सैलाब है?)

(दिन बदले, रातें बदली, बातें बदली)

(जीने के अंदाज़ ही बदले हैं)

इन लम्हों के दामन में पाकीज़ा से रिश्ते हैं

कोई कलमा मोहब्बत का दोहराते फ़रिश्ते हैं

समय ने ये क्या किया, बदल दी है काया

तुम्हें मैंने पा लिया, मुझे तुम ने पाया

मिले देखो ऐसे हैं हम कि दो सुर हों जैसे मद्धम

कोई ज़्यादा, ना कोई कम किसी राग में

कि प्रेम आग में जलते दोनों ही के

तन भी है, मन भी, मन भी है, तन भी

तन भी है, मन भी, मन भी है, तन भी

मेरे ख़ाबों के इस गुलिस्ताँ में

तुम से ही तो बहार छाई है

फूलों में रंग मेरे थे, लेकिन

इन में खुशबू तुम ही से आई है

(क्यूँ है ये आरज़ू? क्यूँ है ये जुस्तजू?)

(क्यूँ दिल बेचैन है? क्यूँ दिल बेताब है?)

क्यूँ है ये आरज़ू? क्यूँ है ये जुस्तजू?

क्यूँ दिल बेचैन है? क्यूँ दिल बेताब है?

दिन बदले, रातें बदली, बातें बदली

जीने के अंदाज़ ही बदले हैं

इन लम्हों के दामन में पाकीज़ा से रिश्ते हैं

कोई कलमा मोहब्बत का दोहराते फ़रिश्ते हैं

नग़्मे ही नग्मे हैं जागती-सोती फ़िज़ाओं में

हुस्न है सारी अदाओं में, इश्क़ है जैसे हवाओं में

इश्क़ है जैसे हवाओं में

- It's already the end -