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कोई हो
यादों में
पलकों पे बूंदें लिए
आईना बनी
ये आँखें तेरी
धीमी सी
खुशबू है
हावाओं के झोकों ने जो
छुके तुझे
चुराई
♪
साँसों की
राहों में
क्या मिल सकेंगे कभी
ढूंढे तुझे
निघाएँ मेरी
साथी थे
जन्मो से
राहों में क्यू क्यूँ गए
मंज़िल हमें
बुलाने लगी
♪
नगमा हो
भीगा सा
या तुम हो कोई ग़ज़ल
हर पल जिस गुनगुनाता रहूँ
होटों से
होले से
सरगम जो बेहने लगी
आने लगी
चाहें मेरी