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-म नाम के साबुन से जो मन का मैल छुड़ाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम का दर्शन पाएगा
(राम नाम के साबुन से जो मन का मैल छुड़ाएगा)
निर्मल मन के दर्पण में वह राम का दर्शन पाएगा
नर शरीर अनमोल, रे, प्राणी, प्रभु कृपा से पाया है
झूठे जग प्रपंच में पड़कर क्यूँ प्रभु को बिसराया है?
(नर शरीर अनमोल, रे, प्राणी, प्रभु कृपा से पाया है)
झूठे जग प्रपंच में पड़कर क्यूँ प्रभु को बिसराया है?
समय हाथ से निकल गया तो...
समय हाथ से निकल गया तो श्री धुन-धुन पछताएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा
राम नाम के साबुन से जो मन का मैल छुड़ाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम का दर्शन पाएगा
व्यवहार
झूठ, कपट, निंदा को त्यागो, हर प्राणी से प्यार करो
घर पर आए अतिथि कोई तो यथाशक्ति सत्कार करो
(झूठ, कपट, निंदा को त्यागो, हर प्राणी से प्यार करो)
घर पर आए अतिथि कोई तो यथाशक्ति सत्कार करो
क्यों, पता नहीं किस रूप में आकर
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा
राम नाम के साबुन से जो मन का मैल छुड़ाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम का दर्शन पाए-