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अगर तुम बेनक़ाब आओ, क़यामत की घड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ, क़यामत की घड़ी होगी
तुम्हें अपनी पड़ी होगी, हमें अपनी पड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ, क़यामत की घड़ी होगी
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सर-ए-महफ़िल कभी आकर जो तुम जलवे बिखेरोगे
निगाहों की छुरी जब तुम हमारे दिल पे फेरोगे
ना पूछो हाल क्या होगा, ना पूछो हाल क्या होगा
लबों पे जाँ अड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ, क़यामत की घड़ी होगी
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मोहब्बत से, मुहूरत से तुम्हें रब ने बनाया है
तेरी नाज़ुक जवानी को नज़ाक़त से सजाया है
बड़ी आबिद तसल्ली से, बड़ी आबिद तसल्ली से
तेरी मूरत गड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ, क़यामत की घड़ी होगी
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चमकते चाँद चेहरे से जो तुम ज़ुल्फ़ें हटाओगे
सामने बैठकर मेरे अगर तुम मुस्कुराओगे
करेगा दिल तुम्हें सजदे, करेगा दिल तुम्हें सजदे
नज़र तुमसे लड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ, क़यामत की घड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ, क़यामत की घड़ी होगी