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जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
♪
भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा
(भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा)
लहरों से लड़ती हुई नाँव को...
(लहरों से लड़ती हुई नाँव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा)
(...मिल ना रहा हो किनारा)
उस लड़खड़ाती हुई नाँव को जो किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
♪
शीतल बने आग चंदन के जैसी, राघव कृपा हो जो तेरी
(...राघव कृपा हो जो तेरी)
उजियाली पूनम की हो जाएँ रातें, जो थी अमावस अँधेरी
(उजियाली पूनम की हो जाएँ रातें, जो थी अमावस अँधेरी)
(...जो थी अमावस अँधेरी)
युग-युग से प्यासी मरुभूमि ने जैसे सावन का संदेश पाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
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जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो, उस पर क़दम मैं बढ़ाऊँ
(जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो, उस पर क़दम मैं बढ़ाऊँ)
फूलों में, ख़ारों में, पतझड़-बहारों में, मैं ना कभी डगमगाऊँ
(फूलों में, ख़ारों में, पतझड़-बहारों में, मैं ना कभी डगमगाऊँ)
(...मैं ना कभी डगमगाऊँ)
पानी के प्यासे को तक़दीर ने जैसे जी-भर के अमृत पिलाया
(पानी के प्यासे को तक़दीर ने जैसे जी-भर के अमृत पिलाया)
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया