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Man Mohini - Shankar Mahadevan

Man Mohini

Shankar Mahadevan

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02:27

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Lyric

हे, मिट्टी पे खींची लक़ीरें रब ने तो ये तस्वीर बनी

आग, हवा, पानी को मिलाया तो फिर ये तस्वीर सजी

ए, हस्ती तेरी विशाल, हो, क़ुदरत का तू कमाल

हे, मनमोहिनी, तेरी अदा, तुझे जब देख ले तो फिर कटा धर से

झर-झर, झर-झर, स-र-त, स-र-र-र

नाचे चमक-चमक वो बिजली दीवानी

हे, बेमिसाल, तू कोरी-कोरी, अनछुई

तुझमें है क़ुदरत सारी खोई-खोई

तुझमें है क़ुदरत सारी खोई-खोई

तुझमें है क़ुदरत सारी खोई-खोई

मिट्टी की है मूरत तेरी, मासूमियत फ़ितरत तेरी

ये सादापन, ये भोलापन

तू महकी-महकी, तू लहकी-लहकी

तू चली-चली, हर गली-गली

तू हवा के ढंग सन-स-न-न-न

तेरा अंग-अंग जैसे जल तरंग

कोई लहर-लहर चली ठहर-ठहर पानी का मेल

तेरे तन-बदन झर-झ-र-र-र-र अंगारे जैसा कोई

तेरा रोम-रोम है दहका-दहका

अग्नि का खेल तू अगन-अगन

ज़रा थिरक-थिरक, ज़रा लचक-लचक

कभी मटक-मटक, कभी ठुमक-ठुमक

चली झूम-झूम कभी घूम-घूम

धरती को चूम, मची धूम-धूम

चंचल बड़ी, तू नटखट बड़ी

महकी बहार, रस की फुहार

तेरे तीखे नैन, तेरे केश रैन

ये बलखाना, ये इतराना

- It's already the end -