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Yeh Zindagi Kuchh Bhi Sahi - From "Romance" - R. D. Burman

Yeh Zindagi Kuchh Bhi Sahi - From "Romance"

R. D. Burman

00:00

06:13

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Lyric

ये ज़िंदगी कुछ भी सही

पर ये मेरे किस काम की?

ये ज़िंदगी कुछ भी सही

पर ये मेरे किस काम की?

जिसके लिए जीते हैं लोग

जिसके लिए जीते हैं लोग

बस है कमी उस नाम की

ये ज़िंदगी, हो-हो, कुछ भी सही

पर ये मेरे किस काम की?

हो, जिसको नहीं है अरमान कोई, कैसी जवानी है ये?

जिसको नहीं है अरमान कोई, कैसी जवानी है ये?

ओ, जिसका नहीं है उन्वान कोई, ऐसी कहानी है ये

हो, ना है ख़बर आग़ाज़ की

ना है ख़बर आग़ाज़ की

ना है ख़बर अंजाम की

ये ज़िंदगी कुछ भी सही

पर ये मेरे किस काम की?

प्यासा रहा मैं, मेरी गली में सावन बरसता रहा

प्यासा रहा मैं, मेरी गली में सावन बरसता रहा

मेले में जैसे कोई अकेला, ऐसे तरसता रहा

पूछो ना ये, कैसे भला

पूछो ना ये, कैसे भला

मैंने सुबह से शाम की

ये ज़िंदगी कुछ भी सही

पर ये मेरे किस काम की?

ओ, दिल बहलाने को लिखते हैं दिल के क़िस्से फ़सानों में लोग

दिल बहलाने को लिखते हैं दिल के क़िस्से फ़सानों में लोग

ओ, रखते हैं हीरे-मोती सजा के अपनी दुकानों में लोग

बाज़ार में कीमत है क्या

बाज़ार में कीमत है क्या

टूटे हुए इस जाम की?

ये ज़िंदगी कुछ भी सही

पर ये मेरे किस काम की?

जिसके लिए जीते हैं लोग

जिसके लिए जीते हैं लोग

बस है कमी उस नाम की

- It's already the end -