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Tum (1st Verse) - Justh

Tum (1st Verse)

Justh

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Lyric

मैं शायर हूँ तो तुम शायरी

मैं गहरी साँस हूँ तो तुम ज़िंदगी

मैं 'गर आवाज़ हूँ तो तुम मौसीक़ी

मैं जब भी मैं हूँ तो तुम बेख़ुदी

दुनिया ये सारी से ज़्यादा हो तुम

ख़ुशियों से जोड़े वो धागा हो तुम

तुम हो तो राहत है, कम है ये ग़म

तुम हो तो ख़ुद से भी ज़्यादा हैं हम

तुम हो तो, तुम हो तो रूह है नरम सी

तुम हो तो, तुम हो तो पूरे हैं हम भी

- It's already the end -