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Teri Soorat Jo Bhari Rehti Hai - Jagjit Singh

Teri Soorat Jo Bhari Rehti Hai

Jagjit Singh

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Lyric

तेरी सूरत जो भरी रहती है आँखों में सदा

अजनबी लोग भी पहचाने से लगते हैं मुझे

तेरे रिश्तों में तो दुनियाँ ही पिरो ली मैने

एक से घर हैं सभी, एक से हैं बाशिन्दे

अजनबी शहर मैं कुछ अजनबी लगता ही नहीं

एक से दर्द हैं सब, एक से ही रिश्ते हैं

उम्र के खेल में एक तरफ़ा है ये रस्सकशी

एक सिरा मुझको दिया होता तो कुछ बात भी थी

मुझसे तगडा भी है और सामने आता भी नहीं

सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की

मुस्कुराये भी पुराने किसी रिश्ते के लिए

कल का अखबार था बस देख लिया, रख भी दिया

वो मेरे साथ ही था दूर तक मग़र एक दिन

मूड के जो देखा तो, वो और मेरे साथ न था

जेब फ़ट जाए तो कुछ सिक्के भी खो जाते हैं

चौधवे चाँद को फ़िर आग लगी है देखो

फ़िर बहुत देर तलक आज उजाला होगा

राख हो जाएगा जब फ़िर से अमावस होगी

- It's already the end -