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Kuch Kam - Vishal-Shekhar

Kuch Kam

Vishal-Shekhar

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Lyric

कुछ कम रोशन है रोशनी

कुछ कम गीली हैं बारिशें

कुछ कम लहराती है हवा

कुछ कम हैं दिल में ख़्वाहिशें

थम सा गया है ये वक्त ऐसे

तेरे लिए ही ठहरा हो जैसे

कुछ कम रोशन है रोशनी

कुछ कम गीली हैं बारिशें

कुछ कम लहराती है हवा

कुछ कम हैं दिल में ख़्वाहिशें

थम सा गया है ये वक्त ऐसे

तेरे लिए ही ठहरा हो जैसे

क्यूँ मेरी साँस भी कुछ भीगी सी है?

दूरियों से हुई नज़दीकी सी है

क्यूँ मेरी साँस भी कुछ भीगी सी है?

दूरियों से हुई नज़दीकी सी है

जाने क्या ये बात है

हर सुबह अब रात है

कुछ कम रोशन है रोशनी

कुछ कम गीली हैं बारिशें

कुछ कम लहराती है हवा

कुछ कम हैं दिल में ख़्वाहिशें

थम सा गया है ये वक्त ऐसे

तेरे लिए ही ठहरा हो जैसे

फूल महके नहीं, कुछ गुमसुम से हैं

जैसे रूठे हुए कुछ ये तुम से हैं

फूल महके नहीं, कुछ गुमसुम से हैं

जैसे रूठे हुए कुछ ये तुम से हैं

ख़ुशबुएँ ढल गईं

साथ तुम अब जो नहीं

कुछ कम रोशन है रोशनी

कुछ कम गीली हैं बारिशें

थम सा गया है ये वक्त ऐसे

तेरे लिए ही ठहरा हो जैसे

- It's already the end -