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Alif Se - Ankit Tiwari

Alif Se

Ankit Tiwari

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Lyric

इन दिनों मेरी अब साँसों में हो रहा ख़र्च तू

कर यक़ीं, मेरे अब जीने की बन गया शर्त तू

अलिफ़ से ये पर तू, यहाँ हर शय पर तू

ख़ुदा पे नक़्श है तेरा, इश्क़ का पैकर तू

अलिफ़ से ये पर तू, यहाँ हर शय पर तू

ख़ुदा पे नक़्श है तेरा, इश्क़ का पैकर तू

देख ले, मेरे अल्फ़ाज़ों से तू बूँद-बूँद गिरता रहता है

सुन ज़रा, मेरी आवाज़ों के तू साथ-साथ बहता रहता है

तू ख़ुद को देख ना पाए जहाँ, मैं वो जगह हूँ

मैं तेरी धड़कनों की गिनतियों की भी वजह हूँ

मैं तेरी धूप में रौशन हुआ क़तरा हूँ कोई

ना जिसके पीछे कोई रात हो मैं वो सुबह हूँ

तू वो सुबह है

अलिफ़ से ये पर तू, यहाँ हर शय पर तू

ख़ुदा पे नक़्श है तेरा, इश्क़ का पैकर तू

अलिफ़ से ये पर तू, यहाँ हर शय पर तू

ख़ुदा पे नक़्श है तेरा, इश्क़ का पैकर तू

देख ले, मेरी इन आँखों में तू ख़्वाब से मिलता-जुलता है

सच है ये, हर जगह नींदों पे तू रोज़-रोज़ उगता रहता है

मैं ख़ुद से ही जुदा, ख़ुद से रिहा, ख़ुद में धुआँ हूँ

कि मैं ही अब नहीं मुझमें, बता कि मैं कहाँ हूँ?

मैं तेरे ख़्वाबों के बहते किनारों पे खड़ा हूँ

तू मुड़ के देख ले मुझको, मैं तेरा ही निशाँ हूँ

तू ही निशाँ है, ओ

अलिफ़ से ये पर तू, यहाँ हर शय पर तू

ख़ुदा पे नक़्श है तेरा, इश्क़ का पैकर तू

अलिफ़ से ये पर तू, यहाँ हर शय पर तू

ख़ुदा पे नक़्श है तेरा, इश्क़ का पैकर तू

- It's already the end -