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चल
♪
बिताता पल
अपने आप में मैं ढूँढूँ संपत
कहाँ से आया, कौन हूँ मैं असल
ना जानूँ, होगा क्या कल
अकेलापन
सताए ना मुझे, ये दिल की धड़कन
डराए ना मुझे, है मन में दर्द कम
ये कैसे हो गए हम
फिर वही आज लिख रहा हूँ
मैं ख़ुद से बातें कर रहा
तेरे क्या इरादे हैं?
करी मैंने मुरादें हैं
नशे मैं ग़ैरों में कर रहा हूँ
धुएँ में सब उड़ाता
मुझी में थी कमी थोड़ी
क्या जाता है ऐसे कोई?
♪
बिताता पल
कभी लगे मुझे कि वक़्त है कम
कभी लगे मुझे कि है ये सब भरम
अधूरे हो गए हम
धुंधलापन
छाया कैसा है ये धुंधलापन
मेरी आँखों में ना जाने क्यूँ शरम
ये कैसे हो गए हम
फिर वही आज लिख रहा हूँ
मैं ख़ुद से बातें कर रहा
तेरे क्या इरादे हैं?
करी मैंने मुरादें हैं
नशे मैं ग़ैरों में कर रहा हूँ
धुएँ में सब उड़ाता
मुझी में थी कमी थोड़ी
क्या जाता है ऐसे कोई?
♪
बिताता पल
अपने आप में मैं ढूँढूँ संपत
कहाँ से आया, कौन हूँ मैं असल
ना जानूँ, होगा क्या कल