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जाने कहाँ पे भटकी थी ज़िंदगी
वो आँसू थे जिनको मैं समझा था ख़ुशी
जाने कहाँ पे भटकी थी ज़िंदगी
वो आँसू थे जिनको मैं समझा था ख़ुशी
बेवजह जिया अब तक
पता ना था, आज जाना है
वक़्त के छोटे से इक पल में है सदियों की ख़ुशी
है ये ही ज़िंदगी
है सदियों की ख़ुशी
है ये ही ज़िंदगी
♪
राहों में राहें ख़ुदा की मिल गई
हो उन पे अब चलना, नहीं जाना है कहीं
राहों में राहें ख़ुदा की मिल गई
हो उन पे अब चलना, नहीं जाना है कहीं
रोशनी ना थी ऐसी कभी पहले इन निगाहों में
आज जो मिला ख़ुद को
लगा मुझको मैं पहले सा नहीं
है ये ही ज़िंदगी
है सदियों की ख़ुशी
है ये ही ज़िंदगी