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सींचेगा कौन, हम जो मुरझाएँ?
थामेगा कौन, हम जो गिर जाएँ?
उड़ जाएगा, ना आएगा हंस अकेला
उड़ जाएगा, ना आएगा हंस अकेला
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रुक जा ज़रा, कैसे समझाएँ?
तू जो कहे, वैसे बन जाएँ
सबर की उंगली थाम ले
सफ़र पे ना जा, मुसाफ़िर
समझे नहीं हैं जो कभी
जो ना सुना है बता फिर
तू तेरे रस्ते, मैं मेरे रस्ते
रोना है फिर क्यूँ? चल हँसते-हँसते
उड़ जाएगा, ना आएगा
उड़ जाएगा हंस अकेला (ना आएगा)
ना आएगा हंस अकेला (उड़ जाएगा)