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रात और दिन दीया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
रात और दिन दीया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
जाने कहाँ है वो साथी
तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन...
पग-पग मन मेरा ठोकर खाए
चाँद-सूरज भी राह ना दिखाए
पग-पग मन मेरा ठोकर खाए
चाँद-सूरज भी राह ना दिखाए
ऐसा उजाला कोई मन में समाए
जिससे पिया का दर्शन मिल जाए
रात और दिन दीया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
जाने कहाँ है वो साथी
तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन...
गहरा ये भेद कोई मुझको बताए
किसने किया है मुझपर अन्याय?
गहरा ये भेद कोई मुझको बताए
किसने किया है मुझपर अन्याय?
जिसका हो दीप वो सुख नहीं पाए
ज्योत दिये की दूजे घर को सजाए
रात और दिन दीया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
जाने कहाँ है वो साथी
तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन...
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खुद नहीं जानूँ ढूँढे किस को नज़र
कौन दिशा है मेरे मन की डगर
खुद नहीं जानूँ ढूँढे किस को नज़र
कौन दिशा है मेरे मन की डगर
कितना अजब है ये दिल का सफ़र
नदिया में आए-जाए जैसे लहर
रात और दिन दीया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
जाने कहाँ है वो साथी
तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन...