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Jiya Jaise - Raghav Kaushik

Jiya Jaise

Raghav Kaushik

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Lyric

जिया, जैसे जिया मैं तो तारे गिन-गिन

तेरी आँखों में खोया मैं सारे दिन-दिन

क्या कहूँ, जिया हूँ तुझ बिन

तू ही मेरी आरज़ू, तू आख़िरी तमन्ना

तेरी आँखों में हैं जैसे सूरज-चंदा

क्या कहूँ, कैसा हूँ तुझ बिन

जैसे सभी गाएँ यही, मेरा जहाँ है तू

सपने सजाए जो सभी, दिल खोल के बोल दूँ

जिया, जैसे जिया मैं तो तारे गिन-गिन

तेरी आँखों में खोया मैं सारे दिन-दिन

क्या कहूँ, जिया हूँ तुझ बिन

तू ही मेरी आरज़ू, तू आख़िरी तमन्ना

तेरी आँखों में हैं जैसे सूरज-चंदा

क्या कहूँ, कैसा हूँ तुझ बिन

रंग दे, रंग दे

इस जहाँ को अपने रंग में रंग दे

जो कभी ना कहा

आज दिन है, वक़्त भी है, कह दे

हाल-ए-दिल फिर मैं सुनाऊँ अपनी भी एक दास्ताँ

एक मैं हूँ, एक तुम हो, और क्या?

पास होके दूर क्यूँ हम, एक अरसा है हुआ

तेरे बिन मैं अब जिया तो क्या जिया?

जिया, जैसे जिया मैं तो तारे गिन-गिन

तेरी आँखों में खोया मैं सारे दिन-दिन

क्या कहूँ, जिया हूँ तुझ बिन

तू ही मेरी आरज़ू, तू आख़िरी तमन्ना

तेरी आँखों में हैं जैसे सूरज-चंदा

क्या कहूँ, कैसा हूँ तुझ बिन

जैसे सभी गाएँ यही, मेरा जहाँ है तू

सपने सजाए जो सभी, दिल खोल के बोल दूँ

- It's already the end -