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Na Kajre Ki Dhar - JalRaj

Na Kajre Ki Dhar

JalRaj

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03:14

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Lyric

तुम कितनी सुंदर हो

दिल हार बैठे तुझपे कर बैठे सब कुरबाँ

अब याद है बस तू ही, तू ही सुबह और शाम

उड़े खुशबू जब चले तू, तुझको रब किया क़रार

ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार

ना कोई किया सिंगार

फिर भी कितनी सुंदर हो (कितनी सुंदर हो)

तुम कितनी सुन्दर हो (कितनी सुंदर हो)

ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार

ना कोई किया सिंगार

फिर भी कितनी सुंदर हो (कितनी सुंदर हो)

तुम कितनी सुन्दर हो (कितनी सुंदर हो)

यूँ ही नहीं, यूँ ही नहीं हैं कहते

सच यही, सच यही है कि तुम

मेरे लिए सारे जहाँ से सुंदर हो (तुम कितनी सुन्दर हो)

तेरी अदा, तेरी अदा पे मरते

सच यही, सच यही है कि तुम

मेरे लिए सारे जहाँ से सुंदर हो (तुम कितनी सुन्दर हो)

है चाँद सी ये सूरत, सागर सी तेरी आँखें

लब बोलते हैं ऐसे पारियों सी तेरी बातें

अब तू ही कर मुक़म्मल, छाया है जो ये खुमार

ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार

ना कोई किया सिंगार

फिर भी कितनी सुंदर हो (कितनी सुंदर हो)

तुम कितनी सुन्दर हो (कितनी सुंदर हो)

ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार

ना कोई किया सिंगार

फिर भी कितनी सुंदर हो (कितनी सुंदर हो)

तुम कितनी सुन्दर हो (कितनी सुंदर हो)

यूँ ही नहीं, यूँ ही नहीं हैं कहते

सच यही, सच यही है कि तुम

मेरे लिए सारे जहाँ से सुंदर हो (तुम कितनी सुन्दर हो)

तेरी अदा, तेरी अदा पे मरते

सच यही, सच यही है कि तुम

मेरे लिए सारे जहाँ से सुंदर हो (तुम कितनी सुन्दर हो)

तुम कितनी सुन्दर हो

- It's already the end -