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बैरिया
मैं, मेरा दिल और तुम हो यहाँ
असर ये कैसा तेरी चाहत का है मुझ पे हो गया?
फिर क्यूँ हो पलकें झुकाए वहाँ?
है जिया
थमी-थमी सी साँसें जीने लगी
जीने लगी हैं तुमसे जो मिल गई
कभी सुकून, कभी लागे बला है
कभी दुआ, कभी लागे हला है
नैनों से ये क्या हो चला है?
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बैरिया
रहते हो आ के जो तुम पास मेरे
थम जाए पल ये वहीं, बस मैं ये सोचूँ
असर ये कैसा तेरी चाहत का है मुझ पे हो गया?
ज़र्रा-ज़र्रा मेरे दिल का अब तुझ में ही खो गया
मेहर वाला वो रब बरसा है जब से तू है मिल गया
तुझको पा के ऐसा लागे कि ख़ुद से हूँ मिल गया
बैरिया, ओ बैरिया
जीने लगा हूँ पहले से ज़्यादा
मुझे सता ना, बैरिया
કિ રંગ જો લાગ્યો રે, કિ રંગ જો લાગ્યો રે