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Raghunandan - Agam Aggarwal

Raghunandan

Agam Aggarwal

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Lyric

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

राजाराम, तुम्हारी जय होवे

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

राजाराम, तुम्हारी जय होवे

दीनानाथ, तुम्हारी जय होवे

रघुनाथ, तुम्हारी जय होवे

सियाराम, तुम्हारी जय होवे

सियाराम, तुम्हारी जय होवे

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

राजाराम, तुम्हारी जय होवे

प्रभु, तुम्हीं जानो मेरे पाप और पुण्य

प्रभु, तेरे बिना तेरा दास पूरा शुन्य

पैरों को लगा दो मेरी पापी इस काया से

हृदय बना शिला मेरी जैसे अहिल्या

साँसों का ये सेतु बस तेरे लिए टिका है

राम-सिया बिना मोहे कुछ नहीं दिखा है

बैठा बन शबरी मैं, राम, पर सुनो

बेर करूँ जूठे कैसे, पापी मेरी जिह्वा है

पाने को ना प्रभु, हूँ ज़माने की मैं दौड़ में

जीता हूँ मैं त्रेता, ये काला युग छोड़ के

जैसे जटायु के मिले मुझे मौत

सर मेरा पड़ा हो आपकी ही गोद में

पैरों को, हाँ, धोके पानी मुझको भी पीना है

माना बजरंगी सा चीरा नहीं सीना है

फिर भी ये दास करे इतनी ही माँग

१४ सालों का वो समय मुझको भी जीना है

एक मुकुट तुम्हारे सिर सोहे

एक मुकुट तुम्हारे सिर सोहे

कानों में कुंडल मन मोहे

कानों में कुंडल मन मोहे

गुणशील तुम्हारे जग जाने

गुणशील तुम्हारे जग जाने

रघुनाथ, तुम्हारी जय होवे

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

राजाराम, तुम्हारी जय होवे

कनक के जैसी मुस्कान को धरे हुए

कीर्तनों में ध्यान नाम पे करे हुए

बल, बुद्धि और चेतना से ध्यान किया रूप का

तो सारे दुख-दर्द ये परे हुए

दुख-सुख को समान मान के

सिया-राम को बुद्धि का कमान मान के

एक तीर प्रेम-भक्ति का चला के देखना है

ऐसे राम ना मिलेंगे जो बैठा आराम के सहारे

चरण धूल-पत्थरों को तारे

साँस भी ये चले राम नाम के सहारे

लोक-सृष्टियों में तुम, कणों की संख्या में तुम

जीव-बुद्धि के परे अनंत रूप हैं तिहारे

भजे व्रजैकमण्डनम्, समस्तपापखण्डनम्

स्वभक्तचित्तरञ्जनम्, है रूप मेरे राम का

दृगन्तकान्तभङ्गिनम्, सदासदालसंगिनम्

दिने दिने नवम् नवम्, भजूँ मैं भजन आपका

कर धनुष सदा और शर धारे

कर धनुष सदा और शर धारे

बन काल सदा दुष्टन तारे

बन काल सदा दुष्टन तारे

मुनि-संतन के रखवारे हो

मुनि-संतन के रखवारे हो

रघुनाथ, तुम्हारी जय होवे

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

राजाराम, तुम्हारी जय होवे

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

रघुनंदन, दीन-दयाल हो तुम

श्री राम, तुम्हारी जय होवे

राजाराम, तुम्हारी जय होवे

- It's already the end -