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Bheegi Bheegi Raaton Mein (From "Carvaan Lounge - Season 1") - Nakash Aziz

Bheegi Bheegi Raaton Mein (From "Carvaan Lounge - Season 1")

Nakash Aziz

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Lyric

भीगी-भीगी रातों में, मीठी-मीठी बातों में

ऐसी बरसातों में कैसा लगता है?

ऐसा लगता है तुम बनके बादल

मेरे बदन को भिगो के मुझे छेड़ रहे हो, छेड़ रहे हो

ऐसा लगता है तुम बनके घटा

अपने सजन को भिगो के खेल खेल रही हो

हाँ, खेल रही हो

साँसें शरारत करने की इजाज़त क्यूँ माँग रही हैं?

होके ये बेसुध, सारी हदें क्यूँ लाँघ रही हैं?

तुम घटा हो, प्यासी ज़मीन हूँ मैं

भिगा के तर करने को घटा इजाज़त क्यूँ माँग रही है?

अंबर खेले होली, ओए-होए

भीगी तोहरी चोली, हमजोली, हमजोली

अंबर खेले होली, उई माँ

भीगी मोरी चोली, हमजोली, हमजोली

पानी के इस रेले में, सावन के इस मेले में

छत पे अकेले में कैसा लगता है?

ओ, पानी के इस रेले में, सावन के इस मेले में

छत पे अकेले में कैसा लगता है?

ऐसा लगता है तुम बनके घटा

अपने सजन को भिगो के खेल खेल रही हो

हाँ, खेल रही हो

ए, बरखा से बचा लूँ तुझे, सीने से लगा लूँ

आ छुपा लूँ, आ छुपा लूँ

बरखा से बचा लो मुझे, सीने से लगा लो

आ छुपा लो, हाँ, छुपा लो

दिल ने पुकारा देखो, रुत का इशारा देखो

उफ़, ये नज़ारा देखो, कैसा लगता है?

ऐसा लगता है कुछ हो जाएगा

मस्त पवन के ये झोंके सैयाँ देख रहे हो, देख रहे हो

भीगी-भीगी रातों में, मीठी-मीठी बातों में

ऐसी बरसातों में कैसा लगता है?

ऐसा लगता है तुम बनके बादल

मेरे बदन को भिगो के मुझे छेड़ रहे हो, छेड़ रहे हो

सुकून जुनून की संगत क्यूँ माँग रही है?

साँसें शरारत करने की इजाज़त क्यूँ माँग रही हैं?

- It's already the end -