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ज़ाकिर हूँ तेरे ज़िकर में, मुनासिब ये तेरी फ़िकर है
तू भर लेती बाँहों में थी, तभी अक्सर ही बेवजह लगते थे डरने
बस काफ़ी कि तुम और हम थे, काश वो थम जाते लम्हे
मनाए मुझे तू, ये फ़ितरत, तो अक्सर ही बेवजह लगते थे लड़ने
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे बिन है दिल मेरा लगता नहीं
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे सिवा ज़िक्र कोई करना नहीं
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे बिन है दिल मेरा लगता नहीं
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे सिवा ज़िक्र कोई करना नहीं
बातें मैं करता जब आप से तो लगता नशे में शराब के
हम आजकल लोगों से भागते, दौड़ते काटने आप से फ़ासले
आप से गुज़रते थे रास्ते, आप ही रूह को मेरी आराम दें
जाऊँगा जान से, तभी तू जाएगी मेरे जहान से
चलो बाँटें अपनी सज़ाएँ
ना तुम कुछ सुनाओ, ना हम कुछ बताएँ
मैं लड़ ही ना पाया था ख़ुद के लिए
जब से देखा हराने मुझे आप आए
काफ़ी बड़ा दिल था मेरा
पर तू ऐसी अमानत, जो ना बाँट पाए
'गर बातें ना हों तेरे बारे में
तो अब हम क्या ही ख़ाक बताएँ?
बातें मीठी, रातें बीतीं, आँखें मीचीं, यादें भीनी
मेरा जहाँ बेरंग था, तभी इरादे तुम्हारे, उन हाथों पे मेहँदी लगा दे पीली
तूने दिल की तारें खींची, हम थे डूब रहे तो तुम किनारे सी थी
मैं अँधेरा सा था, तुम उजाले सी थी, टूटता था मैं तो तुम सँभाले रहती
ख़ैर, अब एक किनारे पे तू और एक किनारे पे मैं
तुम जीते हो मुझे हरा के, हम जीत में भी तुमसे हारे से हैं
दुखता है ये, अब वो हैं ग़ैर जो कल तक हमारे से थे
जो कल तक थे पार लगा रहे मुझे वो आज डुबाने बैठे
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे बिन है दिल मेरा लगता नहीं
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे सिवा ज़िक्र कोई करना नहीं
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे बिन है दिल मेरा लगता नहीं
जानी रे, जानी रे, जानी रे
जानी रे, जानी रे, जानी रे, जानी रे
तेरे सिवा ज़िक्र कोई करना नहीं