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"कृष्ण-कृष्ण" दिन-रात जपो, रोम-रोम में श्याम
बंसी वाले साँवरिया, हम हैं तेरे गुलाम
धन्य है बृजभूमि, जहाँ कृष्ण लिए अवतार
बृज की धूल चंदन बनी, जहाँ खेले नंद कुमार
साँवरी मूरत कान्हा की जो देखे इक बार
प्रेम-दीवाना हो जाए मन, सुख मिल जाए अपार
श्याम-सुंदर, बंसीधर, मुरली मधुर बजाए
सारी सुद-बुद भूल के, मन श्याम नाम गुण गाए
श्याम-रूप राधा बनी, राधा बन गए श्याम
दोनों मिलकर एक हुए, प्रेम-रंग सुख धाम
माधव जग के मूल हैं, श्री हरि के अवतार
वृंदावन के नाथ हैं जग के पालनहार
श्रीमद्भगवद्गीता है सब शास्त्रों का सार
जिसको गीता ज्ञान मिले, हो जाए भव पार
हर-पल जीवन घट रहा, समय बड़ा अनमोल
कृष्ण-भक्ति में डूब के "राधे-राधे" बोल
(राधे-कृष्णा, राधे-कृष्णा)
(कृष्णा-कृष्णा, राधे-राधे)
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गल वैजयन्ती माला सोहे, रूप साँवरा मन को मोहे
मोर-मुकुट सुंदर है सिर पर, (कर कंगन, ओढ़े पीतांबर)
कानन कुंडल, हाथ लकुटिया, पैरों में बाजे पैंजनिया
सुंदर बाँकी है मुस्कनिया, (मनमोहन है कृष्ण-कन्हैया)
देवकी और वसुदेव के नंदन, मथुरा में जन्में जगवंदन
कारागृह से गोकुल आए, (नंद-यशोदा अति हर्षाएँ)
संग खेले बलरामा भैया, झूला झुलाए यशोदा मैया
जमुना तट पर मुरली बजाए, (सब गोपिन्ह के वस्त्र चुराएँ)
बृज में माखन खूब चुराया, गोपियों ने खूब नचाया
राधा के संग रास रचाएँ, (कुंज वनों में धेनु चराएँ)
इंद्र किए जब वर्षा भारी, कृष्ण बने गोवर्धन-धारी
नाग नथाया कालीदह पर, (सर्प के फण पर नाचें नटवर)
दुर्जन पाप करें धरती पर, श्री हरि आएँ कृष्ण जी बनकर
पूतन और बकासुर मारे, ("जय, जय कृष्ण" के हो जयकारें)
बाल कृष्ण लीला करें, छोटे से नंदलाल
यदुकुल-भूषण कृष्ण बने, दुष्ट कंस के काल
(राधे-कृष्णा, राधे-कृष्णा)
(कृष्णा-कृष्णा, राधे-राधे)
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द्वापर युग में मदन-मुरारी, १६ कला पूर्ण अवतारी
द्वारिकापुरी धाम बनाया, (रुक्मिणी के संग ब्याह रचाया)
(श्री कृष्णः शरणम्)
केशव ही अर्जुन के साथी, महाभारत में बने सारथी
गीता ज्ञान सिखाने वाले, (विश्वरूप दर्शाने वाले)
(श्री कृष्णः शरणम्)
द्रौपदी जब प्रभु-शरण में आई, भरी सभा में लाज बचाई
मीरा पी गई ज़हर का प्याला, (विष अमृत कर किया उजाला)
(श्री कृष्णः शरणम्)
मित्र सुदामा के बन आए, नरसी जी का मान बढ़ाए
सूरदास हरि-भजन सुनाएँ, (तुकाराम विट्ठल गुण गाएँ)
(श्री कृष्णः शरणम्)
जगन्नाथ, जय बद्री विशाला, तिरुपति बालाजी, गोपाला
वृंदावन के बाँके-बिहारी, (जय हो, द्वारिकाधीश मुरारी)
(श्री कृष्णः शरणम्)
प्राण जाए जमुना तट पर, कृष्ण-चरण हो पास
मुख में प्रभु का नाम हो, पूरी हो यह आस
(राधे-कृष्णा, राधे-कृष्णा)
(कृष्णा-कृष्णा, राधे-राधे)
(राधे-कृष्णा, राधे-कृष्णा)
(कृष्णा-कृष्णा, राधे-राधे)