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एक साँवरी सी लड़की बावरी सी
ग़ुस्से में पत्ते सी काँपती सी
ज्यों मेरा ज़िक्र सुने भूल से भी
तरक़ीबों से दिल हो ढाँपती सी
वो लड़की मिल जाए तो कहना
हाँ, वो लड़की मिल जाए तो कहना
धूप में पलकों को कस के वो मीचती
चलती हो ज़िंदगी के कश कहीं खींचती
वो लड़की मिल जाए तो कहना
हाँ, वो लड़की मिल जाए तो कहना
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थोड़ी-थोड़ी आँखें नम
बातों में था फिर भी दम
हँसी नहीं थी वो ऐसी
जो बात में यूँ ही उड़ जाए
रात में यूँ ही घुल जाए ना, ना, ना
वो लड़की मिल जाए तो कहना
हाँ, वो लड़की मिल जाए तो कहना
धूप में पलकों को कस के वो मीचती
चलती हो ज़िंदगी के कश कहीं खींचती
वो लड़की मिल जाए तो कहना
वो लड़की मिल जाए तो कहना