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Aasmaan Ke Paar (From "Rockford") - Shankar-Ehsaan-Loy

Aasmaan Ke Paar (From "Rockford")

Shankar-Ehsaan-Loy

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Lyric

(सन-सना, प, मी, न, सन-सना)

(सन-सना, प, मी, न, सन-सना)

आसमाँ के पार शायद और कोई आसमाँ होगा

(सन-सना, प, मी, न, सन-सना)

हो, आसमाँ के पार शायद और कोई आसमाँ होगा

बादलों के पर्वतों पर कोई बारिश का मकाँ होगा

मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

कभी उड़ता हुआ, कभी मुड़ता हुआ

मेरा रास्ता चला, हो-हो-हो-हो

मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

हो-हो-हो, हो-हो-हो

हो-हो-हो, हो-हो-हो

मेरे पाँव के तले की ये ज़मीन चल रही है

कहीं धूप ठंडी-ठंडी, कहीं छाँव जल रही है

इस ज़मीं का और कोई आसमाँ होगा (होगा आसमाँ)

ओ, आसमाँ होगा

मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

इन लंबे रास्तों पर सब तेज़ चलते होंगे

हो, इन लंबे रास्तों पर सब तेज़ चलते होंगे

Copy के पन्नों जैसे यहाँ दिन पलटते होंगे

शाम को भी सुबह जैसा क्या समा होगा (होगा क्या समा)

क्या समा होगा

मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

आसमाँ के पार शायद और कोई आसमाँ होगा (और कोई आसमाँ होगा)

बादलों के पर्वतों पर कोई बारिश का मकाँ होगा (होगा)

ओ, मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

कभी उड़ता हुआ, कभी मुड़ता हुआ

मेरा रास्ता चला, हो-हो-हो-हो

मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

मैं हवा के परों पे कहाँ जा रहा हूँ कहाँ

हो-हो-हो, हो-हो-हो

हो-हो-हो, हो-हो-हो

हो-हो-हो, हो-हो-हो

हो-हो-हो, हो-हो-हो

- It's already the end -