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रात गई तो बात नई
शुरू कहाँ से हम करे?
धूप में भी छाँव लगे
भीड़ में भी तू ही दिखे
ये अनकही-सी दोस्ती
दिल की डोरियों से सिल रही
मुस्कुराए तू वहाँ
हँसी मेरे चेहरे पे खिल रही
रफ़्ता रफ़्ता मैं तेरी ओर यूँ चलूँ
रफ़्ता रफ़्ता मैं एक कदम यूँ रखूँ
तेरी ओर
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इन आँखों में है ख़्वाब तेरा
और दिल में है सुकूँ नया
ज़ुबाँ पे है नाम तेरा
जो मन में है तूने कहा
रफ़्ता रफ़्ता मैं तेरी ओर यूँ चलूँ
रफ़्ता रफ़्ता मैं एक कदम यूँ रखूँ
तेरी ओर