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बिख़रे से पन्नों की ये आरज़ू है अभी
लफ़्ज़ों में मिल जाओ तुम हमको यूँ कहीं
कर ना सकें हम बयाँ
दिल में जो था राज़ छुपा
मन के ख़यालों को भी
बस ये काग़ज़ ही जानता
ना कहोगे तुम, ना कभी कहेंगे हम
काग़ज़ी-सा हमारा इश्क़ है
ना रहोगे तुम, तो फिर क्या करेंगे हम?
मौसमी-सा हमारा इश्क़ है
♪
मख़मली-सी बातें भी कभी तो
लिख के ख़ुश हुए थे हम यहाँ
आँसुओं की बूँदें जो पड़ी तो
ख़ुरदुरा ये काग़ज़ हुआ
प्यार कम हो ना हो
बढ़ती जाए क्यूँ ये दूरियाँ?
कोशिशें मेरी क्यूँ
अब लगे मजबूरियाँ?
कर ना सकें हम बयाँ
दिल में जो था राज़ छुपा
मन के ख़यालों को भी
बस ये काग़ज़ ही जानता
ना कहोगे तुम, ना कभी कहेंगे हम
काग़ज़ी-सा हमारा इश्क़ है
ना रहोगे तुम, तो फिर क्या करेंगे हम?
मौसमी-सा हमारा इश्क़ है