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Dhani Tohar Dhan - Khesari Lal Yadav

Dhani Tohar Dhan

Khesari Lal Yadav

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Lyric

(धनी, तोहार धन तहरे रही)

हम त कठरा में सानऽ तानी आटा (अच्छा)

खाके चल जइहऽ गरम पराठा (आ भुजियो बना द आलू के)

सुनऽ (hello)

हम त कठरा में सानऽ तानी आटा (mm, mm)

खाके चल जइहऽ गरम पराठा

अइसे करबऽ त प्यार नाहीं गहरे रही (सुन, पगली)

भीतर रही चाहे बहरे रही (हाँ)

धनी, तोहार धन तहरे रही

भीतर रही चाहे बहरे रही

धनी, तोहार धन तहरे रही

जदि लफड़ा सुनाई (सवतिन के) ना

त खइबऽ बेलना से मार (गिन-गिन के)

तुहीं बूझबऽ (हाथ छोड़बू का?)

हँ, राखऽ भरोसा, धनी (अच्छा)

करऽ ना गोस्सा, धनी (हटऽ)

खा तानी किरिया तोहार

छूके समोसा, धनी

सुनऽ, तहार दूरी जवानी खाति जहरे रही

अरे, ना हो (त बुझीहऽ)

भीतर रही चाहे बहरे रही

धनी, तोहार धन तहरे रही (अच्छा)

भीतर रही चाहे बहरे रही

धनी, तोहार धन तहरे रही

ए-हो, Krishna Bedardi (Khesari)

हमके तनहा के मार (जनि मारीं)

सुनऽ ना, ए-हो! (का हो?)

हँ-हँ, हमरो त बहुते खली, हिरिस में देहिया गली

सूते के बेरा हमरा सेजिया प तकिया हली

सुनऽ, Sonu, Raushan के संघे बिछलहरे रही

छुल दे रो देबू का हो? (हटऽ)

अरे, भीतर रही चाहे बहरे रही

धनी, तोहार धन तहरे रही

भीतर रही चाहे बहरे रही

धनी, तोहार धन तहरे रही

- It's already the end -