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कबीर कैफे का गीत "मतकर माया को अहंकार" एक मनोरम संगीत रचना है जो भारतीय सांस्कृतिक तत्वों को समेटे हुए है। इस गीत में जीवन की वास्तविकताओं और माया-जाल के बीच संतुलन बनाने का संदेश दिया गया है। कबीर कैफे की अनूठी वोकल प्रदर्शन और परंपरागत वाद्ययंत्रों का मेल इसे विशेष बनाता है। "मतकर माया को अहंकार" श्रोताओं को आत्म-साक्षात्कार और सरल जीवन के महत्व की ओर प्रेरित करता है।