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‘मुसाफिर’ फिल्म "जग्गा जासूस" का एक प्रमुख गीत है, जिसकी संगीत-निर्माण प्रीतम ने की है। इस गीत को अरिजीत सिंह और अनुपमा रॉय ने गाया है। 'मुसाफिर' में रोमांटिक और साहसिक भावनाओं का संगम देखने को मिलता है, जो फिल्म की कहानी में मुख्य पात्रों की यात्रा को खूबसूरती से प्रस्तुत करता है। इसके मधुर लिरिक्स और आकर्षक धुन ने श्रोताओं का दिल जीता है, और यह गीत बॉलीवुड संगीत चार्ट्स में लोकप्रियता हासिल करने में सफल रहा है। 'मुसाफिर' अपने संगीत और भावनात्मक गहराई के कारण दर्शकों में अत्यधिक प्रशंसा प्राप्त करता है।
मैं मुसाफिर बनूँ, रास्ता हो तेरा
मंज़िलों से मेरी, वास्ता हो तेरा
रोशनी से तेरी, हो सवेरा मेरा
तू जहाँ भी रहे, हो बसेरा मेरा
यहाँ मेरा तेरे सिवा
है दूजा नही कोई रे
अकेला मुझे छोड़ के
ना जाना यूँ निर्मोही रे
♪
हो कहानी मेरी, तर्जुबान हो तेरा
हो दुआए तेरी, सर झुका हो मेरा
राज़ में भी तेरे, सच छुपा हो मेरा
मैं कमाई जोडू, क़र्ज़ अदा हो तेरा
यहाँ मेरा तेरे सिवा
है दूजा नही कोई रे
अकेला मुझे छोड़ के
ना जाना यूँ निर्मोही रे