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Bewakoofiyaan - Raghu Dixit

Bewakoofiyaan

Raghu Dixit

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04:25

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Lyric

दिल को समझा-बुझा के

खुद को उल्लु को बना के

उल्लु सीधा करता रहता है

जो वो टूटा नहीं है

तुझसे रूठा नहीं है

फिर क्यूँ ऐसे दुखता रहता है?

नकली दिलासे, फ़र्ज़ी खुलासे

ग़लती पे पर्दे ये डाले, hey

दे कर ये झाँसे, खुद को ही फाँसे

नुकसाँ में ढूँढे मुनाफ़े

बेवकूफ़ियाँ, बेमतलब, बेतुकी सी

बेकार सी, बुद्धू सी, बेवजह बेवकूफ़ियाँ

बेवकूफ़ियाँ, बेमतलब, बेतुकी सी

बेकार सी, बुद्धू सी, बेवजह बेवकूफ़ियाँ

पारा उतरा नहीं है

बिल्कुल सुधरा नहीं है

मुँह के बल ये गिरता रहता है

अब भी बिगड़ा नहीं है

सबकुछ बिखरा नहीं है

मुँह लटका क्यूँ फिरत रहता है?

कितने दिनों से औरों को कोसे

कैसी ये ज़िद पे अड़ गया?

कोई तो टोके, कम से कम रोके

कब तक खुद को देगा ये धोके?

बेवकूफ़ियाँ, बेमतलब, बेतुकी सी

बेकार सी, बुद्धू सी, बेवजह बेवकूफ़ियाँ

बेवकूफ़ियाँ, बेमतलब, बेतुकी सी

बेकार सी, बुद्धू सी, बेवजह बेवकूफ़ियाँ

ऐ, नादाँ रे, आसाँ है रे

इन हिस्सों को तो जोड़ना

क्यूँ परेशाँ है? ना मुश्किल है

माफ़ी के बोल बोलना

ऐसी झूटी-मूटी क्यूँ तड़ी है मारे?

क्या मिलेगा, तू बता?

अब क्या हिसाब खोलें?

तू क्या आना पे तोले

क्या खोया है, क्या हारा

बेवकूफ़ियाँ, बेमतलब, बेतुकी सी

बेकार सी, बुद्धू सी, बेवजह बेवकूफ़ियाँ

बेवकूफ़ियाँ, बेमतलब, बेतुकी सी

बेकार सी, बुद्धू सी, बेवजह बेवकूफ़ियाँ

- It's already the end -