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रफ़्तार
सवाल ये है के जो चीज़ जैसी है
उसे वैसे ही पेश क्यों ना किया जाए
मैं तो बस अपनी कहानियों को एक आईना समझता हूँ जिसमें समाज
अपने आप को देख सके, देख सके
आईना ना देखना चाहे समाज मेरा, हां
पूछे मेरा कल ना देखते ये आज मेरा, हां
खोदते खरोंदते ये मेरी गलतियाँ
मैं भी चल दिया
मेरी सोच पे है राज मेरा
कान बंद, आँखें बंद
इनके मुंह पे ताले
इनमें ज़ोर ना के सत्य पे प्रकाश डालें
बोलें सच जो उसके चेहरे पे तेज़ाब डालें
घूमें फिर खुले में और चलें जो वो नकाब डालें
Off off off है, दिमाग सबका off है
ज़माना क्या कहेगा इसका ही तो सबको ख़ौफ है
दबके जीते हैं, दबाने के ये आदी हैं
Sex निषेध है तो इतनी क्यूं आबादी है?
लोग ये हैं आत्मा से खोखले
खुद करें तो ठीक, बाकी गलत दोगले
गाली दें तू हिंदी में
तो बोलें ऐसा क्यूं किया
Fuck क्यों है कूल जाने गलत क्यों है चूतिया
क्या इस तरह के अल्फाज़ हमें सड़कों पे सुनाई नहीं पड़ते?
मंटो एक इंसान है
मन-मन-मंटो एक इंसान है
मंटो एक इंसान है
मंटो एक इंसान है
मुझ पर इल्ज़ाम है
मुझ पर, मुझ पर
मुझ पर इल्ज़ाम है
मुझ पर इल्ज़ाम है
मंटो एक इंसान है
जात में ये बांटेते हैं
बांट के ये काटते हैं
कटने वाले खाट पे हैं
इनकी मौज रात में है
लाल बत्ती वाली गाड़ी
Glass इनके हाथ में है
राजनीती में है चोर
पुलिस इनके साथ में
मेरी बात तुमको सच नहीं लगती
सच्ची बातें तुमको यारा पच नहीं सकती
मुझसे नासमझ हैं दुगनी मेरी age के
एक पैर कब्र में ये भूखे हैं दहेज़ के
बेटियों को मारते, बेटियां ना पालते
बेटियों पे दूसरों की नजरें गन्दी डालते
लड़कियां पटाके उनको बंदी बोलते हैं
और जो राज़ी ना हो उनको साले रंडी बोलते हैं
बाबरों से माप ठोस हाथ जो उठाएगा
बे-ज़ुबान बोलने से पहले सीख जाएगा कि
मर्द तब बनेगा जब तू औरतें दबाएगा
सोच ये रही तो जल्दी देश डूब जाएगा
मैं उस society की चोली क्या उतारूंगा जो पहले से नंगी है
उसे कपड़े पहनाना मेरा काम नहीं है
मैं काली तख्ती पर सफ़ेद chalk इस्तेमाल करता हूँ
ताकि काली तख्ती, और नुमाया हो जाए
मंटो एक इंसान...
मैं घंटों पढ़ा है तुमको मंटो
तुम्हारे जैसा बनूं करे मेरा मन तो
इन बन्दों को सच नहीं दिखता
70 साल आजादी के सच आज भी नहीं बिकता
अगर आप कहानी को बर्दाश्त नहीं कर सकते
तो इसका मतलब ये है
कि ये ज़माना ही ना-काबिल-ए बर्दाश्त है