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Ghar Se Nikle The Hausala Karke - Jagjit Singh

Ghar Se Nikle The Hausala Karke

Jagjit Singh

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Song Introduction

‘घर से निकले थे हौसला करके’ जगजीत सिंह की मधुर आवाज़ में एक प्रेरणादायक गीत है। इस गीत में अपने घर को पीछे छोड़ नए सपनों की ओर बढ़ने की भावना को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है। जगजीत सिंह के भावपूर्ण गायन और सुलझे हुए संगीत ने इस गाने को श्रोताओं के दिल में खास जगह दिलाई है। यह गीत उन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है जो अपने हौसले को बढ़ाकर नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

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Lyric

घर से निकले थे हौसला कर के

घर से निकले थे हौसला कर के

लौटवाए ख़ुदा-ख़ुदा कर के

घर से निकले थे हौसला कर के

दर्द-ए-दिल पाओगे वफ़ा कर के

दर्द-ए-दिल पाओगे वफ़ा कर के

दर्द-ए-दिल पाओगे वफ़ा कर के

हमने देखा है तजुर्बा कर के

ज़िंदगी तो कभी नहीं आई

ज़िंदगी तो कभी नहीं आई

ज़िंदगी तो कभी नहीं आई

मौत आई ज़रा-ज़रा कर के

लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात

लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात

लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात

हम चले दिल को रहनुमा कर के

किसने पाया सुकून दुनिया में

किसने पाया सुकून दुनिया में

किसने पाया सुकून दुनिया में

ज़िंदगानी का सामना कर के

घर से निकले थे हौसला कर के

लौटवाए ख़ुदा-ख़ुदा कर के

घर से निकले थे हौसला कर के

- It's already the end -