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Woh Khat Ke Purze Udaa Raha Tha - Jagjit Singh

Woh Khat Ke Purze Udaa Raha Tha

Jagjit Singh

00:00

05:10

Song Introduction

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Lyric

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

हवाओं का रुख़ दिखा रहा था

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

कुछ और भी हो गया नुमाया

कुछ और भी हो गया नुमाया

मैं अपना लिखा मिटा रहा था

मैं अपना लिखा मिटा रहा था

हवाओं का रुख़ दिखा रहा था

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

उसी का ईमान बदल गया है

उसी का ईमान बदल गया है

कभी जो मेरा खु़दा रहा था

कभी जो मेरा खु़दा रहा था

हवाओं का रुख़ दिखा रहा था

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

वो एक दिन एक अजनबी को

वो एक दिन एक अजनबी को

मेरी कहानी सुना रहा था

मेरी कहानी सुना रहा था

हवाओं का रुख़ दिखा रहा था

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

वो उम्र कम कर रहा था मेरी

वो उम्र कम कर रहा था मेरी

मैं साल अपने बढ़ा रहा था

मैं साल अपने बढ़ा रहा था

हवाओं का रुख़ दिखा रहा था

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

हवाओं का रुख़ दिखा रहा था

- It's already the end -