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ये इश्क़ नहीं है आसां
इतना तो समझ है आता
तू आग का दरिया है
मुझे तैरना नहीं आता
मुझे तैरना नहीं आता
तुझे डूबना नहीं आता
मुझे तैरना नहीं आता
तुझे डूबना नहीं आता
ये शहर मेरी उल्फत का
वो शहर तेरी गफलत का
तू रात का सूरज है
मुझे जागना नहीं आता
मुझे जागना नहीं आता
तुझे गुरुबना नहीं आता
मुझे जागना नहीं आता
तुझे गुरुबना नहीं आता
तेरे-मेरे तारे, मिले-मिले न रे
छत तो है छत से जुड़ी
चाँद भी छुप जाए, हाथों में न आये
खिड़कियाँ तो है खुली
इस तरह
हम ग़लत, हम ग़लत, हम सही (हम सही...)
हर जगह
हर तरफ, हर तरफ हैं हम ही
ये इश्क़ नहीं है आसां
इतना तो समझ है आता
तू आग का दरिया है
मुझे तैरना नहीं आता
मुझे तैरना नहीं आता
तुझे डूबना नहीं आता
मुझे तैरना नहीं आता
तुझे डूबना नहीं आता
तू रेत सी हाथों से
ऐसी फिसल जाती है
मुझे रोकना नहीं आता
तुझे ठहरना नहीं आता
तू सरफिरी हवाओं में
फिरकी सी क्यों फिरी जाए
मुझे बाँधना नहीं आता
तुझे थामना नहीं आता
तेरी-मेरी राहें, मिले-मिले ना रे
टकराएंगी तो कभी
रास्ते भटक जाए
दुनिया बदल जाए
बदलेंगे दिल न कभी
इस तरह
हम ग़लत, हम ग़लत, हम सही
हर जगह
हर तरफ, हर तरफ हैं हम ही
ये इश्क़ नहीं है आसां
हो कितना, तो समझ है आता
तू आग का दरिया है
मुझे तैरना नहीं आता
ये इश्क़ नहीं है आसां
हो कितना, तो समझ है आता
तू आग का दरिया है
मुझे तैरना नहीं आता